पटना : बिहार में नई सरकार के गठन में पुराने मंत्रिमंडल से दरकिनार किए गए बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में एक बार फिर उम्मीद जागने लगी है. बीजेपी के आलाकमान के निर्देश पर सुशील मोदी को राज्यसभा उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी बनाए जाने के बाद ऐसे नेताओं में जो नई सरकार में मंत्री बनने से वंचित रह गए, उम्मीद जागने लगी है कि शायद बिहार मंत्रिमंडल के किनारा उनके लिए भी फायदे मंद हो, इस श्रेणी में पूर्व मंत्री नंद किशोर यादव, प्रेम कुमार और रामनारायण मंडल जैसे कई दिग्गजों के नाम शामिल हैं. सुशील मोदी को उपमुख्यमंत्री नही बनाए जाने के बाद अब तक कयासों का बाजार गर्म था. अफवाहें ये भी थीं कि बीजेपी अपने पुराने नेताओं से पीछा छुड़ाने की नीति पर आगे बढ़ रही है, लेकिन अब पार्टी आलाकमान द्वारा सुशील मोदी पर भरोसा जताए जाने के बाद अब बाकी बचे वरिष्ठों की उम्मीद भी जागने लगी है.
जिन नेताओं को अभी सरकार में कोई जगह नहीं मिल सकी है वो आस लगाए बैठें हैं कि मंत्रिमंडल के विस्तार में कहीं उनकी भी किस्मत जागे और कोई विभाग उनके जिम्मे भी आए. इस आस में पूर्व मंत्री राणा रणधीर सिंह. कृष्ण कुमार ऋषि, विनोद नारायण झा के अलावे नीतीश मिश्र जैसे कई नेताओं की आस शीर्ष नेतृत्व पर टिकी है.
बताते चलें कि बीजेपी ने नई सरकार में सिर्फ एक पुराने चेहरे को जगह दी है वो है मंत्री मंगल पांडेय. पुराने मंत्रिमंडल में शामिल बाकी बचे सात चेहरों को पार्टी ने दर किनार कर दिया था,लेकिन सुशील मोदी के राज्य सभा उम्मीदवार बनाए जाने के बाद अब बाकी बचे नेताओं में भी अपने भविष्य को लेकर उम्मीद जागने लगी है.
दरअसल बिहार में नई सरकार गठन में बीजेपी ने दो उप मुख्यमंत्री चार मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष पद पर जिन चेहरों को आगे किया उसके बाद पूर्व मंत्रियों में बेचैनी बढ़नी शुरु हो गई थी. इन बड़े चेहरों में शामिल थे पूर्व मंत्री सुशील मोदी, प्रेम कुमार, राम नारायण मंडल,नंद किशोर यादव, विनोद नारायण झा और राणा रणधीर जैसे दिग्गज जिनको पार्टी आलाकमान की ओर से मिला था बड़ा झटका. लेकिन अब एक नाम सुशील मोदी पर पार्टी का रुख देख इन चेहरों ने भी राहत की सांस ली है.
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